सोमवार, 5 नवंबर 2012

TEZAB - 1

    तेजाब- 1


तेजाब के हाथ पाँव बड़े

ही लम्बे और सबल हो गए हैं

यूँ कहें तो काल से भी लम्बे

गली-गली सड़क-सड़क

जमीं-पानी छत-चौबारे

आँखें गड़ाए रहता है हरपल

कब कोई हुस्न से लथपथ

परी मिले

झट दबोच लें बाहों में

आखिर उसकी क्या मजाल जो

ना-नुकूर कर सके

और अगर कर भी दे तो

जिह्वा का एक बूँद

ही काफी है

बरसों से जमीं गन्दगी

झट से साफ कर देता है

फिर तो उसका

चूर-चूर होता घमण्ड...

पूछो ही मत

गर्व से गुर्राते हुस्न की

ऐसी की तैसी

पिघलते देर न लगेगी

सबक सीख लेगी

फिर किसी को ना तो क्या

हाँ भी कहने

की हिम्मत न रहेगी

सारा घमण्ड चूर-चूर हो जाएगा

जब हुस्न रह-रहकर बर्रायेगा

किसकी मजाल जो

कर पाये मुकाबला

बच कर रहना

आखिर हर घर में पनपता

खेलता खिलखिलाता

और अचानक

रूप बदलता

तेजाब जो हूँ.

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