रंग
भावों के गाँठ खोल
जब पहचानना चाहा जीवन को
दिखाई दिए हजारों रंग
और उन रंगों के पीछे
अनेक कच्चे रंग
कच्चे रंग जो चढे थे
कई कपड़ों पर
पानी में डालते ही
घुल गए और
पहचान दे गए अपनी
दूसरे कपड़ों पर भी
कच्चे रंग वाला
कपड़ा भले हो जाए
बेरंग, लेकिन
दूसरे कपड़े पर चढा रंग
छूटकर भी नहीं छूटता
कहीं न कहीं लगा ही
रह जाता है
बेदरंग रंग.
भावों के गाँठ खोल
जब पहचानना चाहा जीवन को
दिखाई दिए हजारों रंग
और उन रंगों के पीछे
अनेक कच्चे रंग
कच्चे रंग जो चढे थे
कई कपड़ों पर
पानी में डालते ही
घुल गए और
पहचान दे गए अपनी
दूसरे कपड़ों पर भी
कच्चे रंग वाला
कपड़ा भले हो जाए
बेरंग, लेकिन
दूसरे कपड़े पर चढा रंग
छूटकर भी नहीं छूटता
कहीं न कहीं लगा ही
रह जाता है
बेदरंग रंग.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें