शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

Mandi

            मंडी



भावनाओं की मंडी में आजकल उछाल है

धड़ल्ले से मिलावटी सामग्री बेचो

बेझिझक खरीदो, सिर्फ ब्रांड का लेबल ही काफी है

वैसे भी इस दुनियाँ में प्योर बचा ही क्या है

क्रीम पाउडर ईंट सीमेंट सब तो मिलावट

से ही तो बनता है

क्रीम पाउडर से पहले झुर्रियाँ बढ़ाओ

बाद में उसी से छिपाओ

सिमेंट से रेत का घर बनाओ

और ढ़ह जाए तो पैसे वाले तो लोग हैं ही

फोन लैपटॉप किसी की अमानत, किसी की बताओ

आता कौन है देखने

साग सब्जियों का तो पूछो ही मत

इंजेक्शन लगाओ उत्पाद बढ़ाओ

पहले खा-खाकर बिमार पड़ो फिर दवा खा-खाकर मरो

हर तरफ से उछाल ही उछाल

और हो भी क्यों न, हम भी तो उछल रहे

चकाचौंध के साथ

रोनी सूरत भला किसको भाती है

बहुत हो गया... प्यार और संवेदना का रोना-धोना

अब तो एंटरटेन अच्छा लगता है

मिलावटी भावनाओं की मंडी में आजकल उछाल है.

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