सोमवार, 21 जून 2010

Meri Nazar se

              मेरी नज़र से
दिल में यादें तेरी, नयन शबनमी
मैं श्रद्धा-सुमन अर्पित करती रहूंगी;
प्रीत कि रीत है जाँ से प्यारी सनम
मैं इसे तोड़कर जी ना सकुंगी.
बिन बताये तेरी दुल्हन बन बैठी मैं
श्रृंगार कराती रही अंतर्मन में मैं;
लबों पर तेरा नाम लाती सनम
नाम बदनाम तेरा मैं कर न सकुंगी.
चाहने वाले तुझको बहुत हैं यहाँ
दिल दरिया में बहने को फुरसत कहाँ;
तुम आओ न आओ मेरे गली
मैं पलक-पांवड़े बिछाए रहूंगी.
आइना धुंधला हो जाये जो दिल का मेरे
मैं तेरे प्यार को फीका पड़ने न दूंगी;
तू बरसे न बरसे मेरे सनम 
मैं चातक आस लगाए रहूंगी.
मैं वो परवाना नहीं जो जल जाउंगी
तेरी रौशनी से चमकती हूँ मैं;
तारों में चमकते रहना सनम
मैं दिल का दीप जलाए रहूंगी.
धड़कने चुप हो जाए जो पल भर के लिए
मैं तन्हाँ तुमसे मिल तो सकुंगी;
यह धड़के ना धडके मेरे सनम
इश्क में कोई बाधा मैं आने ना दूंगी.
वो खुशबू है तू इस फूल की
मुरझा के भी तुझको उड़ने ना दूंगी;
है अगर दम तो पढ़ले मुझको सनम
दिल चीर के तुझको दिखा ना सकुंगी.
चाँद-तारे, बहारें समेटूं दामन में
भेंट कर दू चाहत को चाहती हूँ यही;
तुम इतने महान हो मेरे प्रीतम 
मैं मीरा बनके तुझमे समा ना सकुंगी.
वो प्यार नहीं जिसमे जलन हो, खफ़ा हो 
मैं चन्दन लेप लगाती रहूंगी;
मैं कलयुग की राधा हूँ मेरे कन्हैया
मैं तुझपे हक़ जता ना सकुंगी.
मर मिटुगी मैं तुझको दिल में बसाके
एहसास तुझे मैं होने ना दूंगी;
प्रेम करती रहूँ तुझसे जन्मों-जनम
मोक्ष की चाह कभी मैं कर ना सकुंगी.