पथ
मैं चलूंगी दूर तलक अकेली
परन्तु, अपने पैरों से
घूंघट हटा, सीना ताने, सर उठाये
मैं रास्ता खुद ही परखुंगी
बैसाखियों से तंग आ चुकी हूँ.
क्या मैं इतनी कमजोर हूँ
की अपना रास्ता
स्वयं नहीं तय कर सकती?
मैं खुले कानों से सब सुनूंगी
फिर विचार करुँगी, और तब
उचित रास्ते पर ही
कदम बढ़ौंगी.
क्योकि मेरा रास्ता घर की चौखट
तक ही नहीं,
मेरा रास्ता है
व्यापक संसार और मानवता का पथ.
your feeling is very good.Abdul Quddus
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