शुक्रवार, 25 जून 2010

Bhuchaal

                भूचाल
एक भूचाल के बाद कई भूचाल आते हैं.

कहर से निकला, हृदय विदीर्ण
पलकें खुलीं, अपलक रह गईं
अपना है कोई तो, है तन्हाई
लगा घन-शावक को तीर
वेदना की बरसात हुई,
तभी उस बच्चे के मन में भूचाल आता है.

ज़र-ज़र ज़रा, क्षीण रोशनी
आँचल पसारे, दुवा मांगती
उंगलिया पकड़कर चलाया जिसे
उस अंधी की लकड़ी को लौटा दे
फिर कंचन से खली हाथ लौटे
तब उस वृद्धावस्था के मन में भूचाल आता है.

भूख से तड़पता सुखी छाती पकड़कर 
रोता रहे बीमार बेसुध होकर 
एक रोटी जिस उदार में जाए
अतृप्त, अशांत ही रह जाए 
निर्धनता बेंधती हर क्षण हीर,
तब उस माँ-बाप के मन में भूचाल आता है.

तारों में अपने चाँद को ढूंढने लगे
मधुर मिलन, प्रेमालिंगन हर पल सताने लगे
बेकरार दर्द को, वही हमदर्द कहाँ से लाये 
आग सुलगती रहे, धुँआ नज़र ना आये
विरह छलनी कर दे, दर्द नासूर बन जाए,
तभी दो दिलों के दिल में भूचाल आता है.

व्याध से भयभीत, व्याधि से पीड़ित
कर रहा हो कोई करुण पुकार
वक़्त फिसल जाए, उपाय हो निरुपाय
सुन सकूँ ना समय चीत्कार, तोड़ी उम्मीद
मैंने किसी की या तोड़ी मेरी किसी ने,
तब मेरे भी दिल में भूचाल आता है.
 

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