शनिवार, 19 जून 2010
Mahaadevi Varmaa Ke Kavya Mein Vednaa Kaa Manovishleshan
पुस्तक- महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना का मनोविश्लेषण
लेखिका- रेनू यादव
संस्करण- प्रथम, २०१०
मूल्य- २५० रूपये
प्रकाशक- अन्नपूर्णा प्रकाशन
१२७/११०० w १, साकेत नगर,
कानपुर- 208014.
हे रहस्यमयी करुणामयी तपस्विनी
वेदना से जन्मी और वेदना में ही मिटी.
हृदय तंत्रियाँ थक जातीं
पथ निहार-निहार,
तम के पर्दों में गुंथे
रश्मियों से हार;
अनंत पीड़ा का किया वरण
तू शलभ है चातकी.
नयन के नीर में
प्रेम की नीरजा खिले,
सांध्य कि गीत में
बरस गए अश्रुधार;
तू दुःख की बदली नहीं
है अमर प्रणयिनी.
वेदना से कर श्रृंगार
निस्सीम तरी दीप जला,
चिर नूतन अग्निपथ पर
हो सहस्रार से एकाकार;
वेदना की चरम से है ढली
अब परम आनंदमयी.
हे रहस्यमयी, करुणामयी, तपस्विनी
वेदना से जन्मी और वेदना ही में मिटी.
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