सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

Pahchaan

      पहचान





मछली का पेट फटा

निकली अँगूठी

तब जाकर कहीं पहचान पाये

दुष्यंत शकुंतला को



हाय रे विडम्बना !

पत्नी को पहचानने के लिए

अंगूठी का सहारा



क्या प्रेम, विवाह और बिस्तर

सब अनहोनी थी...

या

गर्भाधान भी कोई

था चमत्कार !!!

जो अनजाने से ही

चू गया गया गर्भ में

और पुत्र भरत

बन गया यथार्थ...



बालक मोह लिया विस्मृत्ति में भी

लेकिन पत्नी याद नहीं आयी

जिसने अपने भावनाओं से

सींचा था प्रेम का खेत

और रोपा था जीवन का बीज



अँगूठी...

जो धड़कनों वाली नली से

गिरकर मत्स्य-गर्भ में जा फँसी

और निकली तो

अपने हृदय की धड़कनों की याद आयी,

पहचान गए दुष्यंत !

अपना लिया शकुन्तला को



किन्तु आज की शकुन्तला

के पास

ऐसी कौन सी है पहचान ?

सिवाय डी.एन.ए. टेस्ट के !!



पहचानो दुष्यंत पहचानो

बिना अँगूठी के

कौन सी शकुन्तला तुम्हारी है, और

कौन सा भरत.... ???

ऊफफफफफ....

बदल गया इतिहास...

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