काश !!!
तड़पती आहों का सैलाब, उमड़ता है हिय में
काश ! तुम आ जाते फिर से मेरे जीवन में.
सपनों का वो संसार, हक़ीकत का प्यार
रस्म-ओ-दुनियाँ की दरकार, ओ मेरे राजकुमार
मृदुभाश बन निकलते, मेरे इन लबों से
काश ! तुम आ जाते, फिर से मेरे जीवन में.
आँखों का अन्धकार मिटा, बन जाते तुम प्रकाश
लक्ष्य का तू ध्रुवीकरण, जीवन का उजास
प्रगति-कज्जल बन, समा जाते मेरे इन नैनन में
काश ! तुम आ जाते, फिर से मेरे जीवन में.
दिनों के देवता, जीवन का अधिकार
समाज को दे ममता, ले लेखनी की तलवार
विचार बन आते, मेरे लेख-उपवन में
काश ! तुम आ जाते फिर से मेरे जीवन में.
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