गुरुवार, 24 जून 2010

Antar

       अंतर
वो वक़्त बीत गया
    जब एक पत्नी
अपने पति को पत्र में लिखा करती थी-

हे मेरे प्राण आधार,
        .................................
........................................
                    आपके चरणों की दासी.

मैं भी नहीं लिखना चाहती-
हे मेरे चरणों के दास,
         ....................................
.............................................
                    आपके के प्राणों की प्यासी.

क्योंकि यदि मैंने लिख दिया
ये बात
तो तुममे मुझमे अंतर क्या रह जाएगा.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें