रविवार, 13 फ़रवरी 2011

svabhaav

         स्वभाव
मर्द झेलता है,
औरत सहती है.
     मर्द कहता है,
     औरत करती है.
मर्द कमाता है,
औरत सहेजती है.
     मर्द प्यार करता है,
     औरत श्रद्धा रखती है.
मर्द फैसला लेता है,
 औरत सोचती है.
     मर्द हंसता है,
     औरत हंसाती है.
मर्द रुलाता है,
औरत रोती है.
     मर्द वादा करता है,
     औरत निभाती है.
मर्द थोपता है,
औरत ढोती है.
     मर्द घुटता है,
    औरत विफरती है.
मर्द इंसानों में गिना जाता है,
औरत इंसान होती है.
     मर्द का अहम् झुकने नहीं देता,
     औरत बार-बार झुकती है.
मर्द विश्वास दिलाता है,
औरत विश्वास पर अड़ी रहती है.
     मर्द तन्हा होता है,
    औरत तन्हाई होती है.
मर्द जिन्दगी होता है,
औरत जीवन होती है.
     मर्द रूठने पर रूठ जाता है,
     औरत आख़िरी दम तक मनाती है.
मर्द लूटकर चला जाता है,
औरत लुट कर भी जीती है.
     मर्द बिछड़ कर जी लेता है,
     औरत कुहुकती है.
मर्द औरत बदल देता है,
औरत उम्मीद तक इंतज़ार करती है.
      मर्द समय होता है,
     औरत युग होती है.





1 टिप्पणी: