मंगलवार, 14 मई 2019

Use To Rone Ki Aadat Hai...

स्त्रीकाल में प्रकाशित

                                              उसे तो रोने की आदत है... !


रोना क्या इतना बुरा है अम्मा !
जो रोज खड़ी कर दी जाऊँ चौराहे पर ?

राधा और सीता के रोने
पर लिखे गए कितने ग्रंथ
अहिल्या, सेवरी, यशोधरा
यशोदा शकुन्तला को क्यों किया
जाता है याद
द्रोपदी भी तो रोयी थी
भरी सभा में अम्मा
कुन्ती रोती रही आजीवन

इतना ही बुरा था उनका रोना
फिर वे ही आदर्श क्यों हैं अम्मा !

नानी को देखा रोते हुए
तुम कभी हँसी नहीं
क्या जिन्दगी का जंग लड़ने से
पहले रोना जरूरी होता है अम्मा !

मैं भी रो रही हूँ
झाडियों में चीखती आवाजों से
तेजाब से झुलस रहा है बदन
अपनों से खार खायी
अधूरे प्रेम की दास्तान से
और सबसे अधिक
नानी और तुम्हें रोता देखकर !
फिर मेरा मजाक क्यों उड़ाया
जाता है अम्मा !
कोई सामने से
कोई खींसे निपोरकर
कोई मुँह छुपाकर
कोई तमाचा मारकर
सब कहते हैं इनसे उनसे
उसे तो रोने की आदत है” !
    

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