स्त्रीकाल में प्रकाशित -
http://streekaal.com/2019/05/poetry-by-renu-yadav/
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आम्रपाली – 2
मस्तक गिरवी पैर पंगू
छटपटाता धड़ हवा में
त्रिशंकू भी क्या
लटके होंगें इसी तरह शून्य में ?
रक्तीले बेबस आँखों से
क्या देखते होंगे इसी तरह
दो कदम रखने के खातीर
जमीन को
?
और जमीन मिलते मिलते
फिसल जाती होगी तलवों से
हो जाती होगी उतनी ही दूर
जितनी करीब होगी कभी
ख्वाबों में
तमाम कोशिश के बाद भी…
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