स्त्रीकाल में प्रकाशित -
http://streekaal.com/2019/05/poetry-by-renu-yadav/
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आम्रपाली - 1
नहीं चुनतीं अपनी
जिन्दगी की डोर
बना दी जाती हैं पतंग...
जिन्हें उड़ाया जाता है
अलग-अलग छतों पर
आँधियों में झंझोड़कर
तीलियों में फंसा कर
चीर दी जाती हैं
बिहरा दी जाती हैं
करके तार तार...
और खींच लीं जाती हैं
झटके से
गोल रोल बनाकर
रख दिया जाता उन्हें
अंधेरे घुप्प कमरें में
बार बार उधेड़ने के लिए...
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