बुधवार, 7 नवंबर 2012

RANG

     रंग



भावों के गाँठ खोल

जब पहचानना चाहा जीवन को

दिखाई दिए हजारों रंग

और उन रंगों के पीछे

अनेक कच्चे रंग

कच्चे रंग जो चढे थे

कई कपड़ों पर

पानी में डालते ही

घुल गए और

पहचान दे गए अपनी

दूसरे कपड़ों पर भी

कच्चे रंग वाला

कपड़ा भले हो जाए

बेरंग, लेकिन

दूसरे कपड़े पर चढा रंग

छूटकर भी नहीं छूटता

कहीं न कहीं लगा ही

रह जाता है

बेदरंग रंग.

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