शनिवार, 24 जुलाई 2010

Badnaam aurat

     बदनाम औरत

रौरव नरक में भी क्या
    ऐसी सज़ा मिलती होगी,
जैसी मिलती है यहाँ
   प्रेम करने वाली लड़कियों को
रर रर कर मरने की.

घर की चक्की छूटे समय हो गया,
   पर घरर-घरर
करते हैं हम रोज यहाँ.

छूरी, कतरनी हाथों से
   भले छुट जाए,
पर दांतों से हमें कतरना  
   उनका रोज का काम है.

घिरनी से पानी निकालते हैं
   खेत सींचने के लिए,
पर वो पानी निकालते हैं
   हमें मिटाने के लिए.

जुआठे में लगे बैल की भाँती
   हमें हांकते हैं,
जैसे वो चाहे दहिने, बाएं
   घुमा देंगे.

सूखी धरती की भाँती
   बर्राने के बाद
जब हम बोलने के लिए
   मजबूर हो जाते हैं,
तब वो नाम रख देते हैं
   मर्दमार औरत.

मर्दमार होने की अगर आदत पड़ जाए
   तो नहीं रोक पाता कोई
बदनाम औरत होने से.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें