पिट्सबर्ग अमेरिका से निकलने वाली वेब पत्रिका 'सेतु' में प्रकाशित...
लिंक - http://www.setumag.com/2018/06/Renu-Yadav-Hindi-Poetry.html
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असहमति
असहमति
जरूरी
है तुम्हारे होने के लिए
जो
साबित करता है तुम्हारा होना...
जैसे
धरती का सीना चीर कर निकलते है
बीज
से कसमसाते अंकूर
जैसे
शांत मौसम को
झकझोर
देती है आँधी
जैसे
तिलमिलाती धूप को
शांत
करते हैं बारिश
जैसे
चमकते चाँद को अचानक से
ढंक
लेते हैं बादल
जैसे
अटल पहाड़ों में भी
रास्ता
ढूँढ़ लेती हैं नदियाँ
वैसे
ही तुम्हारी असहमति
प्रमाण
है
तुम्हारे
जीवित संभावनाओं संवेदनाओं का
और
तुम्हारी सक्रियता का ।
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- रेनू यादव
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