शनिवार, 7 जुलाई 2018

असहमति

पिट्सबर्ग अमेरिका से निकलने वाली वेब पत्रिका 'सेतु' में  प्रकाशित... 
लिंक - http://www.setumag.com/2018/06/Renu-Yadav-Hindi-Poetry.html

असहमति

असहमति
जरूरी है तुम्हारे होने के लिए
जो साबित करता है तुम्हारा होना...
जैसे धरती का सीना चीर कर निकलते है
बीज से कसमसाते अंकूर
जैसे शांत मौसम को
झकझोर देती है आँधी
जैसे तिलमिलाती धूप को
शांत करते हैं बारिश
जैसे चमकते चाँद को अचानक से
ढंक लेते हैं बादल
जैसे अटल पहाड़ों में भी
रास्ता ढूँढ़ लेती हैं नदियाँ
वैसे ही तुम्हारी असहमति
प्रमाण है
तुम्हारे जीवित संभावनाओं संवेदनाओं का
और तुम्हारी सक्रियता का ।

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                                                      - रेनू यादव

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